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अर्थ तन्त्रक चक्रव्युह / राजकमल चौधरी

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सभ पुरूष शिखण्डी
सभ स्त्री रासक राधा
सभक मोनमे धनुष तानि क’ बैसल
रक्त पियासल व्याधा
कत’ जाउ ? की करू ??
रावण बनि ककर सीताकें हरूं ?
सभ पुरूष शिखण्डी
सभी स्त्री रासक विकल राधा
कत’ जाउ ? की करू ??
चक्रव्यहूमे ककरो भरोस नहि करू
रे अभिमन्यु-मोन,
छोड़ि देश ई चलू बोन
सभ पुरूष खिलाड़ी
सभ स्त्री राधा
सभक मोनमे धनुष तानि क’ बैसल
रक्त पियासल व्याधा।