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अर्थ / शारदा झा
Kavita Kosh से
शब्द ताकि रहल अछि
अपन अस्तित्वक यथार्थ
अपन मौलिक अर्थ
जे मिज्झर भ' गेल अछि
रंग बिरंगक व्याख्यानक बीच कतहु
शब्द भ' जाइत अछि हीन
जखन सामना होइत छै ओकर
निस्तब्ध निराकार निःशब्द शांति सँ
मौन बाँचल रहि जाइत अछि
गुंजायमान भ' अनन्त मे
प्रकाशपुंजक आभास अंतस के जगा
मुनि सम भ' जेबाक इच्छा छै शब्दक
खनक' लगैत छइ इजोत
ओकर सर्वस्व के झाँपि क'
क' लइत छै अपना मे समाहित
शब्द हेरि लैत अछि
शब्दहीनता मे अपन सार्थकता
सबसँ बेसी जागृत भाव
ओंमकारक नाद तक
ध्वनि मात्र हृदयक स्पंदनक
मौनक भाषा सबसँ प्रखर होइत अछि