अर्पण तुझपर दिल और जान / सपना मांगलिक
अर्पण तुझपर दिल और जान
मेरे देश महान, हे भारत देश महान
उतर हिमालय के सर से गंगा मैया
चूम तुझे करे कलकल का गान
सूरज,चाँद,सितारे से लकदक करता
नीले अम्बर का सुन्दर परिधान
गांधी, सुभाष, तिलक से सपूत तेरे
करें न्योछावर तुझ पर अपनी जान
माथे मुकुट सम हिमालय शोभित
बना जग में तेरा अभिमान
तुझसे ही तो अपनी शान
मेरे देश महान, हे भारत देश महान
सुमधुर ऋचाएं वेदों की,
गूंजी थी जहां पर पहली बार
सभ्यता और संस्कृति का तेरी,
माने लोहा सारा संसार
काशी में जहाँ बम भोले बिराजें
और अबधपुरी में जय श्री राम
वृंदावन की कुंज गलिन में
खेलें नटवर नागर घनश्याम
बलिहारी तुझपर मेरे प्राण
मेरे भारत देश महान, हे भारत देश महान
सुख शांति का सन्देश जहाँ नित देते
और करते हैं सबका सम्मान
यही प्रभु से प्रार्थना करते
हे प्रभु करो सदा सबका कल्याण
तेरे मान सम्मान की खातिर भारत माँ
दे देंगे हम हंसकर जान
नारी है यहाँ स्वरुप दुर्गा का
और नर में बिराजें श्री भगवान्
तू है मात सामान
मेरे भारत देश महान, हे भारत देश महान