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अलका के महल अपने इन-इन गुणों से / कालिदास
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विद्युत्वन्तं ललितवनिता: सेन्द्रचापं सचित्रा:
संगीताय प्रहतमुरजा: स्निग्धगम्भीरघोषम्।
अन्तस्तोयं मणिमयभुवस्तुङ्मभ्रंलिहाग्रा:
प्रासादास्त्वां तुलयितुमलं यत्र तैस्तैर्विशेषै:।।
अलका के महल अपने इन-इन गुणों से
तुम्हारी होड़ करेंगे। तुम्हारे पास बिजली है
तो उनमें छबीली स्त्रियाँ हैं। तुम्हारे पास
रँगीला इन्द्रधनुष है तो उनमें चित्र लिखे हैं।
तुम्हारे पास मधुर गम्भीर गर्जन है तो उनमें
संगीत के लिए मृदंग ठनकते हैं। तुम्हारे
भीतर जल भरा हैं, तो उनमें मणियों से बने
चमकीले फर्श हैं। तुम आकाश में ऊँचे उठे
हो तो वे गगनचुम्बी हैं।