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अलस्सुबह रात्रि / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
दुखमय सपनों की
सिसकियाँ
बीती मियाद की
मृदुल अनुभूतियांे की
झलकियाँ।
अलस्सुबह
करवटें बदलती
हैं धूप-छाँह की
सूराखों में
और रात्रि में
टँगती हैं उर की
शाखों से।