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अलिफ़ सैर करने गया नून में / आदिल मंसूरी
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अलिफ़ सैर करने गया नून में
मिले मीम के नक़्शे-पा नून में
वो लज़्ज़त का सूरज ढला नून में
अंधेरा सा फिर हो गया नून में
वो नुक़्ता जो था बे के नीचे अभी
सरकता हुआ आ गया नून में
उसे सब ने रोक था जाते हुए
किसी की न मानी गया नून में
वहां जा के वापस न लौटा कभी
सदा के लिये रह गया नून में
वो ऊपर से गिनिये तो है बीसवां
वो नीचे से निकला छटा नून में
किसी हर्फ़ से भी न पूरा हुआ
अधूरा रहा दायरा नून में