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अली मियाँ / अनिरुद्ध उमट
Kavita Kosh से
सीढियों पर चिड़िया के पंख
सूखी हड्डियाँ
लम्बी तानें
इस कदर निश्चल
जैसे
अली मियाँ आने को है
अपनी पतंग पर इन सबको
जगह देने को है
फिर सूखे तालाब में
उड़ाएंगे पतंग
और खुद कट जाएँगे