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अल्पकालिक / वैशाली थापा
Kavita Kosh से
यह बिल्कुल ऐसा था
किसी ने खटखटाया दरवाजा
और दस्तक देकर भाग गया।
हाँ ठीक वैसा ही
जैसे मैं खिड़की वाली सीट की ओर ताकती रह गयी
और सफ़र का अंत हो गया।
मुझे झूले के एक चैंबर में बैठा दिया गया
और लटका दिया गया
आकाश की अथाह ऊँचाई में।
तुम मेरे जीवन में इतने अल्पकालिक थे
कि मैं तुम्हें बता नहीं सकी
मुझे ऊँचाई से डर लगता है।