अल्अ़तश / अली सरदार जाफ़री
अल्अ़तश<ref>हाय पानी,हाय प्यास</ref>
अल्अ़तश, अल्अ़तश,अल्अ़तश
हमनफ़स<ref>मित्र</ref> गर्म लू, हमक़दम ख़ारो ख़स<ref>काँट और सूखी घास</ref>
ज़ेर-ए-पा बिजलियाँ, आँधियाँ पेश-ओ-पस
सारबाँ<ref>ऊँटवाला</ref> और कुछ तेज़ बाँगे-ज़रस<ref>उस घंटे की आवाज़ जो क़ाफ़िले के साथ होता है</ref>
अल्अ़तश
अल्अ़तश
अल्अ़तश
रहगुज़र, रहगुज़र, कारवाँ, कारवाँ
प्यास की सरज़मीं, प्यास का आसमाँ
ख़्वाब-दर-ख़्वाब रक़साँ है जूए-रवाँ
सारबाँ और कुछ तेज़ बाँगे-ज़रस
अल्अ़तश
अल्अ़तश
अल्अ़तश
महमिलों में ये सब बे-रिदा कौन है
पा-ब-ज़ंज़ीर ये बे-नवा कौन हैं
ये शहीदाने-राहे वफ़ा कौन हैं
सारबाँ और कुछ तेज़ बाँगे-जरस
अल्अ़तश
अल्अ़तश
अल्अ़तश
ख़ून से सुर्ख़ सूरज हैं नेज़ो पे सर
सुर्ख़ हैं शह्रे-मज़लूम के बामो-दर
शब के सीने में ख़ंजर है रंगे-सहर
सारबाँ और कुछ तेज़ बाँगे-जरस
अल्अ़तश
अल्अ़तश
अल्अ़तश
हक्क़ो-बातिल<ref>सत्य और मिथ्या</ref> की हर अह्द में जंग है
हर ज़माना शहादत से गुलरंग है
हर रजज़<ref>युद्धक्षेत्र में अपने कुल की शूरता और श्रेष्ठता का वर्णन</ref> शो’लः-ए-नूरो-आहंग<ref>प्रकाश और संगीत की अग्निज्वाला</ref>
सारबाँ और कुछ तेज़ बाँगे-जरस
अल्अ़तश
अल्अ़तश
अल्अ़तश