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अवई अछि नाव नहिं भव स कदाचित ललित छी अपने / मैथिली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अवई अछि नाव नहिं भव स कदाचित ललित छी अपने।
वैजन्ती मंगला काली शिवासिनी नाम अछि अपने।
हमर दुख कियो नहि बुझय कहब हम जाय ककरा स
कृपा करू आजु हे जननी बेकल भय आवि बैसल छी।


यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से