Last modified on 2 मई 2011, at 11:27

अवधू माँस भषन्त दया धर्म का नास / गोरखनाथ

अवधू माँस भषन्त दया धर्म का नास ।
             मद पीवत तहाँ प्राण निरास ।
भाँगि भषन्त ग्यान ध्यान षोवँत ।
             जम दरबारी ते प्राणी रोवँत ।।