Last modified on 27 फ़रवरी 2018, at 21:37

अविवाहित रह गई लड़कियों के नाम / प्रज्ञा रावत

लड़की क्यों रहती हो उदास तुम
बेरौनक तुम्हारा चेहरा
मन कोई आहट सुनने को बेचैन
अनमनी-सी क्यों भागती-फिरती हो
अपने आप से

सब जानते हैं कि लिखने वालों
के लिए किसी उपन्यास का
ज़रूरी हिस्सा हो सकती हो तुम
उम्र का अब तक का पड़ाव तय
किया है तुमने बिना किसी
शोर-शराबे के

तुम कहाँ कर पाईं कभी प्रेम किसी से
प्रेम में पड़ने की अपनी उम्र में
बेलती रहीं अपना मन गोल-गोल
रोटियों में और सेंक दी अपनी चटख
कहने को तो बहुत कुछ है लड़की
पर राज की बात तो ये है कि
तुम्हारा मन सहलाने नहीं आएगा
कभी कोई

ये क़िस्सों और कहानियों के नायक
कब उतरे हैं ऐसी किसी आधी
बीत चुकी कहानी में

मेरी बात मानो
अबकी बारिश फैला अपने
सतरंगी पंख थिरक लेना जी भर
बेसाख़्ता बेसुध
डरो मत मैं हूँ ना

अबके मौसम जब दूर-दराज़ से आई
चिड़िया बैठ तुम्हारे कन्धे
लौटा रही हो तुम्हारी आँखों में
क्षितिज से बटोर कर लाई चमक
तो टोकना मत उसे

क्या पता चिड़िया फिर
आए न आएँ
मैं भी रहूँ ना रहूँ।