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अश्क़ आँखों मे छुपाया जाये / रंजना वर्मा
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अश्क़ आँखों मे छुपाया जाये
फूल खुशियों के खिलाया जाये
दोस्त को साथ लिये ही रहिये
रूठ जायें तो मनाया जाये
हमसफ़र भी तो फ़रिश्ता ही है
रिश्ता उल्फ़त से निभाया जाये
दर्द का बोझ उठाने के लिये
कोई हमराज़ बनाया जाये
जी रहे लोग हैं खुद की ख़ातिर
लौ खुदा से भी लगाया जाये
राह मुश्किल है हमेशा ग़म की
दिल कहीं और लुभाया जाये
रोज़ खुलते न दरीचे दिल के
राज़ ये सब को बताया जाये