अश्क़ पी के चलो दुनियाँ को हँसाया जाये / रंजना वर्मा
अश्क़ पी के चलो दुनियाँ को हँसाया जाये
दर्द सीने में छिपा जश्न मनाया जाये
आज महफ़िल है सजी गीत ग़ज़ल की यारो
हैं जो नाशाद उन्हें भी तो बुलाया जाये
मुश्किलें लाख सही राह तो तय करनी है
आज हिम्मत से कदम आगे बढ़ाया जाये
बात सुननी है तो दोनों की बराबर सुनिये
एकतरफ़ा न कोई फ़ैसला लाया जाये
रस्मे उल्फ़त है जरा आशिकी की बात तो हो
याद को यार की सीने से लगाया जाये
आईने चश्म में हर बात नक्श है होती
आज ये राज़ चलो सब को बताया जाये
जो नहीं जानते जीने के वजूहात हैं क्या
उन्हें मुफ़लिस का कोई ठौर दिखाया जाये
जख़्म हालात के यूँ ही तो हैं नहीं भरते
आबे जमजम का कोई घूँट पिलाया जाये
खार चुभने लगे हैं अब सभी के पांवों में
रास्ता साफ नया और बनाया जाये
इतनी दूषित है हवा साँस घुटी जाती है
खुशबुओं से भरे फूलों को खिलाया जाये
है न ईमान वफ़ा ही न समझदारी ही
जिन्दगानी का सबक फिर से पढ़ाया जाये