भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अश्क भरे हैं इन आँखों में / नमन दत्त

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरी दुआएँ तेरे साथ हैं जाने वाले।
तू सलामत रहे घर मेरा जलाने वाले।

तेरी अदा, तेरा ये फ़न, ख़ुदारा क्या कहिये,
आँख से छुप के मेरे दिल में समाने वाले।

भरी महफ़िल में सभी बैठ के हँस लेते हैं,
पर कहाँ मिलते हैं वीराने सजाने वाले।

तू भी तड़पेगा दर्दे दिल से कभी मेरे लिए,
हर एक बात पर दिल मेरा दुखाने वाले।

तलाश करता है "साबिर" क्यूँ कू-ब-कू उनको,
लौट के आये हैं वापस कभी जाने वाले?