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अश्रु आँखों में पल गये होंगे / रंजना वर्मा

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अश्रु आँखों में पल गये होंगे।
दूर घर से निकल गये होंगे॥

राह तारीकियों भरी होगी
दीप आशा के जल गये होंगे॥

विघ्न-बाधा ने डराया होगा
लड़खड़ाकर संभल गये होंगे॥

जख्म की आग जब जली होगी
पीर-पर्वत पिघल गये होंगे॥

अपनी चीखों को रख दिया गिरवी
लोग रहने महल गये होंगे॥

स्वप्न का दीप जब जला होगा
कितने परवाने जल गये होंगे॥

रख दिया जब रेहन उम्मीदों को
अश्क़ पीकर बहल गये होंगे॥