अश्रु आँखों में छिपाकर मुस्कुराओ तो सही।
जिंदगी है शर्त इस को जीत जाओ तो सही॥
जब विधाता ने लिखा हो बस अँधेरा भाग्य में
कर कठिन संकल्प तुम सूरज उगाओ तो सही॥
जन्म दे शिक्षित किया माँ बाप गुरु हैं देवता
आज उनसे नेह का रिश्ता निभाओ तो सही॥
है किसे अवकाश जो पीड़ा परायी हर सके
स्वार्थ की संकल्पना से दूर आओ तो सही॥
हैं प्रदूषण ग्रस्त नदियाँ वायु भू आकाश सब
स्वच्छता अभियान अब कोई चलाओ तो सही॥
थी धरा यह स्वर्ग जैसी है पुराणों में लिखा
राम का युग भूमि पर फिर खींच लाओ तो सही॥
बढ़ रहा आतंक दुष्टों पापियों का हर तरफ़
साँवरे फिर कर्म की गीता सुनाओ तो सही॥