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अष्टांग-योग / अंकावली / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
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‘यम’ संयम थिक, सत्य अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अस्तेय अभोग
शौच, तोष, तप, स्वाध्याय प्रणिधान ईश्वरक ‘नियम’ प्रयोग
पù, सिद्ध बा वीर कोनहु आसन लगाय थिर बैसि
पूरक, कुम्भक, रेचक क्रम प्राणक आयाम विशेषि
विषय मात्र सँ सन्निकर्ष इन्द्रियक हटाय, चित्त सन्हिआय
‘प्रत्याहार’ करी अन्तमुँख वृत्ति, बहिर्मुख वृत्ति दुराय
धारण करइत सुचिर एक चित धरी ‘धारणा’ मन विलमाय
‘ध्यान’ कोनहु रूप क वा ज्योतिस्वरूपक एकनिष्ठ मन लाय
तखनहि ध्याता-ध्यान-ध्येय त्रिपुटी मिलि संपुट एक
योग अष्टविधि बृत्ति - निरोधी साधन साधक टेक