असत्य
पहाड़ जितना भी
बर्फ़ की तरह
पिघल जाता है ।
सत्य
कणी जितना भी
हीरे की तरह
शाश्वत है ।
मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : क्रान्ति
असत्य
पहाड़ जितना भी
बर्फ़ की तरह
पिघल जाता है ।
सत्य
कणी जितना भी
हीरे की तरह
शाश्वत है ।
मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : क्रान्ति