असमय शंखध्वनि / रुद्र मुहम्मद शहीदुल्लाह / शिव किशोर तिवारी
इतने हृदय की ज़रूरत नहीं,
कुछ शरीर, कुछ मांसलता की बहार भी चाहिए।
इतना स्वीकार, इतनी प्रशंसा का काम नहीं,
थोड़ा आघात, थोड़ी बेरुख़ी भी चाहिए, कुछ अस्वीकार।
साहस उकसाता है मुझे,
जीवन कुछ यातना की शिक्षा देता है,
भूख और सूखे के इस असमय में
इतने फूलों का काम नहीं।
सीने में घिन लिए नीलिमा की बात
उपास के मारे आदमी की मुश्किलात
किसी काम के नहीं, नहीं किसी काम के
करुणाकातर विनीतबाहुओ, घर लौट जाओ।
पथभ्रष्ट युवक, भुलावों-भरे अन्धकार में रोओ कुछ दिन
कुछ दिन विषाक्त द्विविधा की आग में जलाओ अपने आप को,
अन्यथा धरती का मोह सुडौल नहीं हो पाएगा,
अन्यथा अन्धकार की धार में बहोगे और कुछ दिन।
इतने प्रेम की ज़रूरत नहीं है
बेज़ुबान मुँह निरीह जीवन
नहीं चाहिए, नहीं चाहिए।
थोड़ा हिंस्र विद्रोह चाहिए थोड़ा आघात
ख़ून में कुछ गर्मी चाहिए कुछ उबाल,
चाहिए कुछ लाल तेज़ आग।
मूल बांग्ला से शिव किशोर तिवारी द्वारा अनूदित