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असर किसी की नज़र का शराब जैसा है / ईश्वरदत्त अंजुम
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असर किसी की नज़र का शराब जैसा है
किसी कली के महकते शबाब जैसा है
रहे-हयात के कांटों से क्यों उलझते हो
वो हाथ चूम के देखो गुलाब जैसा है
दिखाई देता है हर फूल में वही चेहरा
ख़ुदा क़सम जो बहारे गुलाब जैसा है
मिरे लबों पे मचलते हुए सवालों का
तिरा जवाब बड़ा लाजवाब जैसा है
पड़ा है वास्ता हर गाम पर मुसाइब से
ये ज़िन्दगी का सफ़र इक अज़ाब जैसा है।
इरादा भूलने का उसको कर नहीं सकते
किसी गुनाह के ये इरतिकाब जैसा है