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असह / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
बहुत उदास मन
थका-थका बदन !
बहुत उदास मन !
उमस भरा गगन
थमा हुआ पवन
घुटन घुटन घुटन !
घिरा तिमिर सघन
नहीं कहीं किरन
भटक रहे नयन !
बहुत निराश मन
बहुत हताश मन
सुलग रहा बदन
जलन जलन जलन !