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असुरों से तो जीत गए रण / नईम
Kavita Kosh से
असुरों से तो जीत गए रण,
पर अपने से-
अपने राम परास्त हो गए।
दक्षिण पंथ विकट विचलन के,
सीता के हों या लक्ष्मण के;
दोराहे पर खड़े हुए प्रण
वैश्विकता के आल-जाल में
खाँटी बाम परास्त हो गए।
अर्जुन के हों या कि करण के,
हैं स्कंध अकाल मरण के;
क्षणजीवी आए अब दर्शन,
खोटों-से बाज़ार-हाट में
चोखे दाम परास्त हो गए।
असुरों से तो जीत गए रण,
पर अपने से-
अपने राम परास्त हो गए।