भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अस्थिति / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जाति परिवर्तन
धर्म परिवर्तन
आरो कुर्सी परिवर्तन
मगर तोहें चुप छोॅ
हम्में चुप छियै
आपनोॅ- आपनोॅ मुँहोॅ में
ताला लगाय केॅ
देशोॅ में
कŸोॅ कŸोॅ परिवर्तन
होय रैहलोॅ छै
सब तमासा छेकै
तोंय देखै नै छोॅ
फिरू सें
नादिर के नंगा नर्तन
होय रैहलोॅ छै ।