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अहँक लेल रंजन / कालीकान्त झा ‘बूच’
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अहँक लेल रंजन, हमर भेल गंजन
केहेन खेल ई, रक्त सँ हस्त मंजन
तरल नेह पर मात्र दुःखक सियाही
जड़ल देह हम्मर अहँक आँखि अंजन
रचल गेल छल जे, सुखक लोक सुन्दर
चलल अछि प्रलय लऽ तकर सुधिप्रभंजन
मृतक हम, अहाँ छी सुधा स्वर्ग लोकक
अहँक लेल यौवन हमर गेल जीवन