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अहंकारक आइग में जरैत किछु लोक / भास्करानन्द झा भास्कर

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अहंकारक आइग में जरैत किछु लोक
व्यथा-ताप सहैत झड़कैत किछु लोक
 
समाजक सगरो कोना भड़ल दुर्जनसं
सांपक विष रखने सोहरैत किछु लोक
 
छलक टेंगारी चढल जीनगीक गरदन
देयादक आघातसं कोहरैत किछु लोक
 
अप्पन विकास लेल लिप्त आगू- पाछू
स्वार्थ-सिद्ध-लाभमें सरकैत किछु लोक
 
मिथिला समाजमें शिथिलता केर वास
आनक उमंग देखि हहरैत किछु लोक