भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अहमदाबाद / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इस शहर में
फिर से कोई हादसा
हुआ होगा

नहीं तो
इतना खामोश
और वीरान
क्यों पड़ा है यह

आदमी से
आदमी का
भरोसा उठ गया होगा

नहीं तो
इतना बेजुबां
और बेमज़ा
क्यों हुआ है यह

2001 में रचित