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अहले-जहां ये देख के हैरान हैं बहुत / शहरयार
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अहले-जहां ये देख के हैरान हैं बहुत
दस्ते-सितम है एक, गरेबान हैं बहुत
हमने तमाम उम्र संवारा उन्हें मगर
गेसू-ए-ज़ीस्त फिर भी परीशान हैं बहुत
ये और बात दिल को हैं बेमेहरियां ही याद
हम पर वगरना आपके एहसान हैं बहुत
शर्मिंदा दोस्त ही से नहीं शहरयार हम
दुश्मन से भी तो आज पशेमान हैं बहुत।