भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अहसास के शोलों को हवा देता है / रमेश तन्हा
Kavita Kosh से
अहसास के शोलों को हवा देता है
सोये हुए इमकान जगा देता है
क्यों अपने तखैयुल के न कुरबां जाऊं
जो राज़ की हर बात बता देता है।