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अहसास / बीना रानी गुप्ता

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महक आ रही है किचिन से
पकौड़ियों के तलने की
चाय उबलने की
हँसते खिलखिलाते बतियाने की
बच्चे की गेंद उछली
पहुँची बालकनी में
आवाज गूंजी
ताली जोर से बजाने की
माँ प्यार से डाँट रही
कभी दुलार रही
पापा नाश्ते का स्वाद लेते
बिट्टू को गले से चिपकाये
अपनेपन का अहसास कराते
यह घर ईंट सीमेंट का नही
प्यार ममता का अहसास है
यहाँ अकेलापन नही
भरापूरा संसार है।