भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अाज की रात ज़रा प्‍यार से बातें कर ले / अनवर फ़र्रूख़ाबादी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अाज की रात ज़रा प्‍यार से बातें कर ले
कल तेरा शहर मुझेे छोड़ के जाना हाेेेगा

ये तेरा शहर तेरा गॉंव मुबारक हाेे तुझेे
और ज़ुल्फाेे की हॅँँसी छॉंव मुबारक हो तुझे
मेरी किस्मत मेें तेरे जलवो की बरसात नहीं
तू अगर मुझसेे खफ़ा है तो कोई बात नहीं
 
 एक दिन तुझे भी मेरे लिए रोना हाेेेगा
रात की नींंद भी और चैन भी खोना होगा
याद में तेरी कल अश्‍क बहाना होगा
कल तेरा शहर भी छोड़ के जाना होगा

आज की रात ज़रा प्‍यार से बातें कर ले