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अेक सौ इकतीस / प्रमोद कुमार शर्मा
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माखी सूं लेय'र हाथी तांई
सै नैं दिया सबद साचै सांई
कुण अरथावै
चौरासी रो फेर
सै नैं भरमावै
फेरूं भी सबद दातार है
अजै भी लोक मांय वैवार है
नींतर :
संवेदन रो कत्ल हूज्यांवतो
असल जीवण नकल हूज्यांवतो।