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अेक सौ उणसठ / प्रमोद कुमार शर्मा
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बै डाढा कोड करै सांवरै रा
सोधै आपरै हिड़दै री नाड़्यां
-साड़्यां
रो पल्लो राखै सिर ऊपर संभाळ
लज्जा करै जूनी संस्कृति री रुखाळ
पण आं दिना वै उदास है
बांरा बोल सुरता नैं सैन करै
देख-देख माया नैं गीला नैण करै
उजड़ती ई बगै है
सत्संग री बाड़्यां।