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अेक सौ नौ / प्रमोद कुमार शर्मा

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लैहर उठै
बैहर उठै
-गज़ल री
जणै हिड़दै री गतागम मिटज्यै
-फरमान काळ आपरो पाछो गिटज्यै

सबद सांवरो बडा खेल करै
आथूणी दवायां नैं भी फेल करै

फिकर घणी करै आपरी
-फसल री
लैहर उठै
बैहर उठै
-गज़ल री।