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अेक सौ पांच / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
समझो भलांई सबद नैं आप
-मकराणा स्टोन
पण टूटै जणै 'बैक बोन'
उण वेळा हवेलियां रा कंगूरा चित नीं चढै
हाथ जोड़्यां जीव काळ री बारहखड़ी पढै
साची :
अेक दिन भाखा रै आंगणै
आपणी सांसा डिक्टेट हूसी
सबद रै हाथां मांय आपणो
डैथ सर्टिफिकेट हूसी।