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अेक सौ सोळै / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
सातूं सिंझ्या रो टैम
म्हैं थानां मांय अरपूं सबद
-सुणै दीयो
होळै-होळै प्राण लेवै प्राण भराव
उघड़ै अेक औंकार रो सभाव
अबै रात-भर जागणो है
अर जगाणो है अलाव
-गुणै हीयो
सातूं सिंझ्या रो टैम
-सुणै दीयो।