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अ-तटस्थ / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
पत्तों के घूँघट में
अपने को
भरसक ढाके
गोरी गोभी !
- बेरहमी से
- काट गया रे
- कल्लू लोभी !
- बेरहमी से
जो पालक
वह भक्षक
कितना छल ?
- कहता —
- सब्ज़ीमंडी में
- बेचूंगा कल !
- चल चल
- मेरी हँसिया चल !
- कहता —