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आँखी मा हमर धुर्रा झोंक दिये / कुंज बिहारी लाल चौबे
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आँखी मा हमर धुर्रा झोंक दिये,
मुड़ी मा थोप दिये मोहनी ।
अरे बैरी जानेन तोला हितवा ,
गंवायेन हम दूनों ,दूध -दोहनी ।।
पीठ ला नहीं तैंहर पेट ला मारके ,
करे जी पहिली बोहनी ।
फेर हाड़ा गोड़ा ला हमर टोरे,
फोरे हमर माड़ी कोहनी ।
गरीब मन के हित करत हौं कहिके,
दुनियॉं मा पीटे ढिंढोरा ।
तैं हर ठग डारे हमला रे गोरा ।।