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आँखों की सड़क / अनीता कपूर
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मेरी आँखों की सड़क पर
जब तुम चलकर आते थे
कोलतार मखमली गलीचा बन जाता था
मेरी आँखों की सड़क से जब
तुम्हें वापस जाते देखती थी
वही सड़क रेगिस्तान बन जाती थी
तुम फिर जब-जब वापस नहीं आते थे
रगिस्तान की रेत आँख की किरकिरी बन जाती थी
आँखों ने सपनों से रिश्ता तोड़ लिया था
फिर मुझे नींद नहीं आती थी