Last modified on 23 अक्टूबर 2019, at 23:30

आँखों के सपने को मरने न देना / उर्मिल सत्यभूषण

आँखों के सपने को मरने न देना
जीवन की इस लौ को बुझने न देना

कर्मों की भूमि में रहना कर्मरत
छलियों के छल बल को छलने न देना

विश्वासों के संबल लेकर के चलना
खुद को भी निश्चय से गिरने न देना

कांटों के जंगल में खुशियों की कलियाँ
दामन में भर लेना डिगने न देना

अंधेरों ने उर्मिल मुँह की है खाई
आशा के सूरज को ढलने न देना।