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आँखों ने इक ख़्वाब अजब सा देख लिया / अमित शर्मा 'मीत'

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आँखों ने इक ख़्वाब अजब सा देख लिया
तड़प तड़प कर मौत को मरता देख लिया

तन्हाई की जान निकलने वाली है
तन्हाई ने ख़ुद को तन्हा देख लिया

चमक उठीं हैं भूखे बच्चे की आँखें
कूड़े में रोटी का टुकड़ा देख लिया

ग़म को दिल पर कब्ज़ा करना था लेकिन
चेहरे पर ख़ुशियों का पहरा देख लिया

घबराहट के मारे सहमा बैठा हूँ
यानी कुछ तो ऐसा वैसा देख लिया

भूख ग़रीबी ज़िल्लत दहशत वीरानी
छोटी सी इस उम्र में क्या क्या देख लिया

मीत समय ने धुंध हटा दी आँखों से
कौन है अपना कौन पराया देख लिया