भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आँखों ने हैरानी को ख़ामोश रखा / सोनरूपा विशाल
Kavita Kosh से
आँखों की मनमानी को ख़ामोश रखा
मैंने बहते पानी को ख़ामोश रखा
जाने क्या क्या और देखना था बाक़ी
आँखों ने हैरानी को ख़ामोश रखा
क़िस्मत ने बचपन इतना बदरंग किया
बच्चों ने नादानी को ख़ामोश रखा
रिश्ते के मरते जाने की हद थी ये
बातों ने भी मानी को ख़ामोश रखा
दीवारों ने शोर किया वीरानी का
खिड़की ने वीरानी को ख़ामोश रखा