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आँख में आँसू लिए अब हम किधर जाएँ / चेतन दुबे 'अनिल'

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आँख में आँसू लिए अब हम किधर जाएँ?
इन्द्रधनुषी स्वप्न
आँखों में बसाए हम,
साँस के सँग सिसकियों की
टूटती सरगम।
हम पियासे होंठ ले
भटके मरुस्थल में
कौन जिसको प्यास का हम
अर्थ समझाएँ?

साधनाएँ बाँझ
आशा तोड़ती है दम
देखकर तेवर समय के
मौन है पूनम
वेदनाएँ मारती विषदंश घावों में
कब तलक आकुल हृदय की पीर सहलाएँ?

आँख के सपने पिघल कर
बन गए शबनम
अनमनी यह आँख तब से
हो गई पुरनम
कौन समझेगा यहाँ पर अर्थ आँसू के
तुम कहो तो आँसुओं में डूब मर जाएँ!