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आँख में झलका सितारा, क्या कहूँ कैसे कहूँ / उर्मिल सत्यभूषण
Kavita Kosh से
आँख में झलका सितारा, क्या कहूँ कैसे कहूँ
आँसुओं का स्वाद न्यारा, क्या कहूँ, कैसे कहूँ
एक मंज़र क्षितिज पर देखा, धरा के अंक में
आसमाँ सारे का सारा, क्या कहूँ, कैसे कहूँ
धूप उजली झांकती आकाश से वातास में
कर गई क्या क्या इशारा, क्या कहूँ, कैसे कहूँ
रात की रानी से महकी शर्बरी की देह में
चांदनी ने तीर मारा, क्या कहूँ, कैसे कहूँ
छटपटाती रेत पर मछली सी, उर्मिल, जिंदगी
टूटी कश्ती, बेसहारा, क्या कहूँ कैसे कहूँ।