भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आँख मेरी फिर सजल होने को है / कविता किरण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

आँख मेरी फिर सजल होने को है,
लग रहा है इक ग़ज़ल होने को है।

फिर नज़र मेरी तरल होने को है,
फिर मेरा दुश्मन सफल होने को है।

आज फिर गम की पहल होने को है,
दर्द का दिल में दख़ल होने को है।

मौत का वादा अमल होने को है,
उम्र पूरी आजकल होने को है।

नींद में सबकी खलल होने को है,
इक कली खिलकर कमल होने को है।

आज हर मुश्किल सरल होने को है,
आज अल्लाह का फ़ज़ल होने को है।