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आँख रहती है हमेशा नम तुम्हारी याद में / रविकांत अनमोल
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आँख रहती है हमेशा नम तुम्हारी याद में
हैं निहाँ दुनिया के सारे ग़म तुम्हारी याद में
तुम ही बाइस हो मिरी हर इक ख़ुशी का रंज का
तुमसे मिलने में ख़ुशी है ग़म तुम्हारी याद में
तुम तो शायद याद भी करते नहीं हम को कभी
खोए रहते हैं हमेशा हम तुम्हारी याद में
ख़ाब में भी अब तुम्हारी दीद मुश्क़िल हो गई
नींद भी आती है अब तो कम तुम्हारी याद में
गर्मियाँ हों सर्दियाँ हों, क्या बहारें, क्या ख़ज़ां
एक सा लगता है हर मौसम तुम्हारी याद में