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आँख से बिछड़े काजल को तहरीर बनाने वाले / गुलाम मोहम्मद क़ासिर
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आँख से बिछड़े काजल को तहरीर बनाने वाले
मुश्किल मे पड़ जाएँगे तस्वीर बनावे वाले
ये दीवाना-पन तो रहेगा दश्त के साथ सफर में
साए में सो जाएँगे जंजीर बनाने वाले
उस ने तो देखे अन-देखे ख्वाब सभी लौटाए
और थे शायद टूटी हूई ताबीर बनाने वाले
सोने की दीवार से आगे मेरे काम न आए
सच्चे जज्बे मिट्टी को इक्सीर बनाने वाले
जुज्व-ए-शेर नहीं है ‘कासिर’ जुज्व-ए-जाँ कर डाले
हम को जितने दर्द मिले थे ‘मीर’ बनाने वाले