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आँख / तसलीमा नसरीन / सुलोचना

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सिर्फ़ चुम्बन चुम्बन चुम्बन
इतना चूमना क्यों चाहते हो ?
क्या प्रेम में पड़ते ही चूमना होता है !
बिना चुम्बन के प्रेम नहीं होता ?
शरीर स्पर्श किए बिना प्रेम नहीं होता ?

सामने बैठो,
चुपचाप बैठते हैं चलो,
बिना कुछ भी कहे चलो,
बेआवाज़ चलो,
सिर्फ़ आँखों की ओर देखकर चलो,
देखो प्रेम होता है कि नहीं !
आँखें जितना बोल सकती हैं, मुँह क्या उसका तनिक भी बोल सकता है !

आँखें जितना प्रेम समझती हैं, उतना क्या शरीर का अन्य कोई भी अंग समझता है !

मूल बांगला से अनुवाद : सुलोचना