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आँधियों के ग़णित / ओमप्रकाश सारस्वत
Kavita Kosh से
जिनको
दीवारो-दर मिल गए अब
उनसे
तूफाँ की चर्चा वृथा है
जिनके
पैरों में पर लग गए अब
उनसे
राहों की चर्चा से क्या है?
आँधियों के गणित सारे जिनके
लाभ के बीज-गणकों में फल गए
जब से वे, पा गए काँच के घर
उनके पत्थर अदाओं में ढल गए
वे जो
इल्जाम नित बाँटते थे
उनसे
इज्जत की चर्चा से क्या है?
शँख जागरण को जो लिए थे
आज सोते-से जगते ही नहीं हैं
कल जो लड़ते थे सिंहासनों से
बैठे आसन पे थकते नहीं हैं
चर रहे जो
फसल कोंपलों की
उनसे
बीजों की चर्चा से क्या है?
शब्द सारे युवा कच्चा सोना
उनको जैसे भी तुम चाहो घड़ लो
यूं तो पूर्ण समर्पित-सुमन हैं
इनको जिस मात्र देहरी पे धर लो
भर रहे जो
गुलो में गरल नित
उनसे
खुशबू की चर्चा से क्या है?