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आँधी आयी / सूर्यकुमार पांडेय
Kavita Kosh से
भागो भाई, भागो भाई,
आँधी आयी, आँधी आयी!
गर्द-भरी गलियाँ, चौरस्ते,
राही भूल गये हैं रस्ते।
फँसे बीच में हम सब बच्चे,
उड़ीं किताबें, लुढ़के बस्ते।
छज्जे पर जा अटकी टाई।
आँधी आयी, आँधी आयी!
इक्का लेकर भागा घोड़ा,
कोचवान को पीछे छोड़ा।
आसमान में उठे बगूले,
बिछड़ गया चिड़िया का जोड़ा।
धूल-भरी बदली है छायी।
आँधी आयी, आँधी आयी!
भैंस तुड़ाकर भागी खूँटा,
ग्वाले का मटका भी फूटा।
छड़ी गिर पड़ी दादा जी की,
दादी जी का चश्मा टूटा।
कहीं न कुछ देता दिखलाई।
आँधी आयी, आँधी आयी!